रंग तूने प्रेम का जो मुझपे चढ़ाया है,
सच कहूँ जीने का मज़ा ही अब आया है ।। टेर ।।
तर्ज़ – दीनानाथ मेरी बात ।
कोई कहे कुछ भी ना, मुझको फिकर है,
लोक लाज की भी मुझे, अब तो ना डर है,
सिर पे जो हाथ तूने, अपना फिराया है ।। 1 ।।
मेरे जैसे श्याम तेरे, दीवाने हज़ार है,
मुझमें क्या ख़ास देखा, लुटाया जो प्यार है,
हर एक साँस ने भी, यही गुनगुनाया है ।। 2 ।।
श्याम तेरे प्रेमियों का, ऐसा परिवार है,
रिश्ता नहीं है फिर भी, प्रेम बेशुमार है,
तब से हमें भी तूने, अपना बनाया है ।। 3 ।।
आपके ही नाम से ही, मेरी पहचान है,
भजनों से ‘मोहित’ कहूँ, दिया मुझे काम है,
सोच के ही श्याम मेरा, दिल भर आ गया है ।। 4 ।।
लिरिक्स – आलोक गुप्ता (मोहित) जी