ओ तारण हारेऽऽऽ, ओ तुमसे श्वाँसों का संगीत,
तुम्हीं हो मेरे मन के मीत, ओ पाता हर इक मोड़ पे जीतऽऽऽ ।। ओ ।।
तर्ज – ओ बाबुल प्यारे ।
बचपन से जो प्रीत जुड़ी थी, दीनदयालु तुमसे,
कैसे शुकर करूँ मैं तेरा, नेह लगाया मुझसे,
मंजिल है तेरी राहें, श्रीचरणों में पनाहें,
हर जीवन की आशाएँऽऽऽ ।। ओ….।।
मैं तो लायकत नहीं आपकी, सेवा कुछ कर पाऊं,
अपना समझ प्रसाद मिला जो, उस पर मैं इतराऊँऽऽऽ,
तुमने थामां जबसे हाथ, देते कदम कदम पर साथ,
समझूँ कैसे स्वयं को अनाथऽऽऽ ।। ओ….।।
दरसन देने को हे बाबा, पास मेरे भी आना,
सेवा भक्ति जाम पिलाकर, जीवन सफल बनाना,
माँगे ‘राजू’ ये अधिकार, श्याम नहीं करना इंकार,
दूर जीवन से हो अंधकारऽऽऽ ।। ओ…. ।।