दोहा – मेरे महाकाल की नजरो में, जो भक्त उतर जाता है,
कितना भी गहरा सागर हो, पार उतर जाता है।
डूबती हुई कश्ती भी, पार हो जाये,
नजर महाकाल की, एक बार जो हो जाए।।
मेरे महाकाल की तो, बात ही निराली है,
किया उद्धार उनका, जिनपे नज़र डाली है,
मेरे त्रिकाल का, आधार जो हो जाए,
नज़र महाकाल की, एक बार जो हो जाए।।
जो भक्त बस गए, महाकाल की निगाहों में,
बिछाता फुल महाकाल, उनकी राहो में,
चाहे जग में दुश्मन, हजार हो जाए,
नज़र महाकाल की, एक बार जो हो जाए।।
भक्ति और भाव से जो, भोले का गुणगान करें,
कल्याणकारी बाबा, भक्तो का कल्याण करें,
जिंदगी का सपना, साकार हो जाए,
नज़र महाकाल की, एक बार जो हो जाए।।
डूबती हुई कश्ती भी, पार हो जाये,
नज़र महाकाल की, एक बार जो हो जाए।।
गायक – कृष्णा राजपूत (9826286076)
लिरिक्स – गणेश राजपूत जी
म्यूजिक – शुभम राजपूत जी