नाचांगा बाबा श्याम, थारी खाटू नगरी,
देख तो देख दुनियां सगरी ।। नाचांगा … ।।
तर्ज – कान्हूड़ा ।
फागण सुदी ग्यारस की रातां, थांसे मिलेगी जद म्हारी आंख्यां,
मिल ज्यासी हिवड़े न जीव जड़ी ।। नाचांगा … ।।
आयी है भक्तां की टोली, फागण मं थांसे खेलण होली,
देखंगा आज तूं इब क्या में बड़सी ।। नाचांगा … ।।
दिल की कहूंगा कुछ खाटी मीठी, बोल क मन मं हेज्या नचीतों,
दास ‘अजय’ की सुणल्यो अरजी ।। नाचांगा … ।।