मिला दरबार दाता का, तो फिर क्यूं और दर जायें लिरिक्स

Mila Data Ka Darbar to Fir Kyun Aur Dar Jaye Lyrics

मिला दरबार दाता का, तो फिर क्यूं और दर जायें,
हो गया श्याम जब मेरा, क्यों जग की ठोकरे खायें ।। टेर ।।

तर्ज – भरी दुनिया में आखिर ।

दया दिलवर की हो इतनी, सजेगा ठाठ का बाना,
बनेगी जिन्दगी पारस, श्याम से होगा याराना,
बहेगी प्यार की नदियां, तो फिर गड्ढे में क्यूं न्हायें ।। १ ।।

महर नरसी पे कर भगवन, गये थे भात भरने को,
उढ़ायी बहिन को चुनरी, भक्त की लाज रखने को,
निभाई मित्रता ऐसी, कच्चे तन्दुल चबा खाये ।। २ ।।

कबीरा, सूर और मीरा, दीवाने हो गये इनके,
लगन लगती है जब सच्ची, सलोने श्याम की जिनके,
उन्हें कुछ और ना दिखता, सामने श्याम ही आयें ।। ३ ।।

बनेगी अब मेरी बिगड़ी, जुड़ेगा तार दिलवर से,
मिटेगी ल्हालसा जग की, प्रीति हो जाये गिरधर से,
सफल जीवन हो फिर ‘सांवर’, श्याम दरबार पा जायें ।। ४ ।।

लिरिक्स – सांवर जी