(तर्ज- थाली भर कर ल्याई खीचड़ो….)
म्हारो हेत तेर स बाबा, दूजी ना पिछाण है।
मिलग्यां थारे स गण म्हारा, थारो ही विधान है-२ ।।
थारो नाम तो चुंबक जैसो, खींच सभी ने लेव है,
बदले में म्हाने श्याम धणी, भक्ति और शक्ति देव है,
डंको बाज रह्यो है जंको, भगत श्याम की ज्यान है ।।
म्हारे …. ।।
जद भी कोई काम पड़ तूं, मन्ने मौको देव है,
सगलां सागे म्हारे सिर पर, हाथ दया को रह्वे है,
आशीर्वाद थे देता रिज्यो, करां श्याम गुणगान है ।।
म्हारे …. ।।
लगा कचहरी बैठ्या भगवन, आवो सबक आडा जी,
न्यायाधीश हो थे कलयुग का, देव बड़ा ही ठाडा जी,
काम बणावो सब का मोहन, सागे श्री हनुमान है ।।
म्हारे….।।
यो उलझी गाँठ्या सुलझाव, कदै नहीं यो करे है देर,
गुण गायेजा तूं तो “राजू”, श्याम नाम की माला फेर,
भजनां को अन्ने करावो कलेवो, रीझे दयानिधान है ।।
म्हारे :… ।।