मेरी याद आती क्या, कभी श्याम तुमको,
मैं तो ना भूलूं, तुम्हें श्याम प्यारे,
कभी तो दया कर, आजा दयालु,
अपना समझ के, दीनों के द्वारे ।। टेर ।।
तर्ज – तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी ।
तेरी प्रीत मेरी बड़ी खास होगी,
इतनी दया से ही, किस्मत बनेगी,
तो फिर क्यूं हे स्वामी, अजमा रहे हो,
हारे के साथी बनो फिर हमारे ।। १ ।।
गुनाहों को भूलो, खतायें बिसारो,
दया के हो सिन्धु, इधर भी निहारो,
कमी कुछ ना आयेगी, सागर में स्वामी,
बन जावोगे गर हमारे सहारे ।। २ ।।
फुरसत नहीं है ये, मैं मानता हूँ,
मुझसे बहुत हैं तेरे, ये भी जानता हूँ,
लेकिन मेरे तो तुझसा, एक तूं ही है,
‘सांवर’ ने अरजी धरी तेरे द्वारे ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी