मेरी बिगड़ी बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है,
मुझे दिल से लगाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है ।।
तर्ज – चलते चलते यूंही कोई मिल गया ।
मुझे छोड़ के गए जब, मेरे वो सारे अपने,
मेरे वो सारे अपने,
अपना बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है,
मेरी बिगड़ी बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है ।।
जीवन में था अँधेरा, दिखता नहीं सवेरा,
दिखता नहीं सवेरा,
ज्योति जगाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है,
मेरी बिगड़ी बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है ।।
मेरी हैसियत कहाँ थी, जो खुद मैं जाऊं खाटू,
जो खुद मैं जाऊं खाटू,
मुझको बुलाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है,
मेरी बिगड़ी बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है ।।
दुनिया से क्या मिला था, मायूसी के अलावा,
मायूसी के अलावा,
मुझे फिर से हसाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है,
मेरी बिगड़ी बनाने वाला, मेरा श्याम सांवरा है ।।
लिरिक्स – अनिल शर्मा जी