नैया चला रहा है, मेरा श्याम खाटू वाला,
मुझको बचा रहा है, मेरा श्याम खाटू वाला।।
तर्ज – मौसम है आशिकाना।
कब का मैं डूब जाता, तू हाथ ना लगाता,
तेरी कृपा ना होती, तो तैर भी ना पाता,
तो तैर भी ना पाता,
साहिल पे ला रहा है, मेरा श्याम खाटू वाला,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नैया चला रहा है….
कई बार मन में आया, सब मैं ही कर रहा हूं,
सच है तेरे करम से, दिन रात बढ़ रहा हूं,
दिन रात बढ़ रहा हूं,
मुझको बड़ा रहा है, मेरा श्याम खाटू वाला,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नैया चल रहा है….
पतवार थाम करके, जिंदगी मेरी बचाई,
वरना लिखी थी, ‘विक्की’ के भाग्य में तबाही,
‘विक्की’ के भाग्य में तबाही,
जीवन सजा रहा है, मेरा श्याम खाटू वाला,
मेरा श्याम खाटू वाला,
नैया चल रहा है….
स्वर- किंशुक लाडला
लेखक – विकास विक्की अग्रवाल कानपुर