महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा,
पलकें बिछाए बैठे हैं कुछ तो फरमाइए ज़रा ।।
यूँ तो हैं लाखों कलियाँ फिर भी सूना है ये चमन,
चरणों में लगा खाटू की मिटटी तो लाइए ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा ।।
नादानियों पे मेरी करते हमेशा पर्दा तुम,
परदे की हो गई आदत पर्दा हटाइये ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा ।।
तोहफे में तुम्हे देते अम्बार आंसुओं भरा,
उस पर ये तुमसे कहते हैं अजी मुस्कुराइए ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा ।।
घडी इंतज़ार की अब बेसब्र हो रही है,
बैठा है ‘राज’ चरणों में यूँ ना सताइये ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा ।।
लिरिक्स – राज पारीक जी




