मैया शेरावाली की, दुर्गा खप्पर वाली की,
सों मिलकै उतारां आज, माँ की आरती ।।
तर्ज – मोरछड़ी थारै हाथां में।
देवी-देवता ऋषि-मुनि योगी, माँ के ही गुण गाते हैं,
जब भी कोई आफत आवै, माँ से अरज लगाते हैं,
जगदम्बे माँ काली की, ऊँचे पहाड़ों वाली की ।। सों….।।
वेद-पुराण ग्रन्थ में इनकी, महिमा लिखी सुहानी है,
सारे जग की रक्षा करती, बात सभी ने मानी है,
सांची ज्योता वाली की, मैया महरांवाली की ।। सों….।।
खड्ग त्रिशूल लिए हाथों में, दुष्टों का संहार करे,
अन्नपूर्णा लक्ष्मी बन माँ, भगतों के भण्डार भरे,
झोली भरने वाली की, “नन्दू” ममता वाली की ।। सों….।।
लिरिक्स – नन्दू जी