मैंने जबसे हरि जी तेरा नाम लिया,
अभिमान दिखाना छोड़ दिया,
ओ अभिमान दिखाना छोड़ दिया – २,
मैंने जबसे प्रभु जी तेरा नाम लिया,
अभिमान दिखाना छोड़ दिया ।।
अभिमान दिखाया बेटों का,
यह बेटे पोते मेरे हैं,
जब इन्हें छोड़ कर जाना है,
मैंने लाड लड़ा ना छोड़ दिया,
मैंने जब से हरी जी ।।
अभिमान दिखाया कोठी का,
यह कोठी बंगले मेरे हैं,
जब इन्हें छोड़ कर जाना है,
मैंने मोह लगाना छोड़ दिया
मैंने जबसे हरि जी ।।
अभिमान दिखाया दौलत का,
यह दौलत शोहरत मेरी है,
जब हाथ पसारे जाना है,
मैंने इन्हें जोड़ना छोड़ दिया,
मैंने जब से हरि जी ।।
अभिमान दिखाया काया का,
यह काया तो बड़ी सुंदर है,
जब राख की ढेरी होनी है,
मैंने सजना सवरना छोड़ दिया,
मैंने जबसे हरि जी ।।