क्यूँ भूल गये श्यामा,
मुझे पागल समझ कर भूल गये ॥
(तर्ज : छोड़ गए बालम””)
मेरे मन में उठी उमंगें, जपलूँ नाम तुम्हारा ।
तुम श्यामा अब दर्शन दे दो, होगा भला हमारा।
हम हैं बालक नादान, तुम क्यूं कर हमको भूल गये ॥
तुम आओ या ना आओ, मैं लूंगा नाम तुम्हारा ।
जहाँ कहीं भी तूम जाओगे, पीछा करूँ तुम्हारा ।
मैं छोड़ नहीं सकता, तुम बेशक मुझको छोड़ गये ॥
दुनिया में तुम भक्ति की माला, जल्दी फेरो भगवान ।
नहीं तो इस दुनिया में श्यामा, धर्म होएगा भंग ।
क्यों तोड़ गए श्यामा, मेरा भक्ति भरा दिल तोड़ गये ॥
मेरे मन में आश उठी तब, आया पास तुम्हारे ।
‘मातृदत्त’ तुम्हारा तुम बिन, व्याकुल नन्द दुलारे ।
मैं भुल नहीं सकता फिर, तुम क्यों मुझको भुल गये ॥