क्या पाया है दर तेरे आके, तूं जाने या मैं जानूँ,
मिलता है क्या तुमको रिझाके, तूं जाने या मैं जानूँ ।। टेर ।।
तर्ज – स्वरचित ।
सब चाहते हैं जीत जहाँ में, किसको पसंद यहाँ हारना,
क्या जीता हूँ खुद को हराके, तूं जाने या मैं जानूं ।। मिलता … ।।
अपनी हस्ती कर दी समर्पित, तेरे नाम की ज्योती में,
निखरा हूँ मैं खुद को बुझाके, तूं जाने या मैं जानूं ।। मिलता … ।।
प्रेम समर्पण्सा की सब पूँजी, तुझपे लूटा दी सांवरे,
कितना धनी हूँ सब कुछ लूटाके, तूं जाने या मैं जानूं ।। मिलता … ।।
‘सोनू’ करे बस चर्चा तुम्हारी, और ना गुण कोई ख़ास है,
काबिल हुवा हूँ गुण तेरे गाके, तूं जाने या मैं जानूं ।। मिलता … ।।
लिरिक्स – आदित्य मोदी (सोनू) जी