ऊँ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।
खाटूधम बिराजत, अनुपम रूप धरे ।।
ऊँ जय………
रतन जडित सिंहासन, सिर पर चंवर दुरे ।
तन केशरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े ।।
ऊँ जय……..
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे ।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले ।।
ऊँ जय………
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे ।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ।।
ऊँ जय…
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे ।
भक्त आरती गावं, जय जयकार करें ।।
ऊँ जय…
जो ध्यावे फल पावे, सब दुख से उबरे ।
सेवक जन निज मुख से, श्रीश्याम-श्याम उचरे।।
ऊँ जय…
‘श्री श्याम बिहारीजी’ की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत ‘आलूसिंह’ स्वामी, मनवांछित फल पावे।।
ऊँ जय……
जय श्रीश्याम हरे, बाबा जय श्रीश्याम हरे ।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे ।।
ऊँ जय………
मंदिर प्रबंधन के अनुसार पहली मंगला आरती सुबह 5:30 बजे होती है। इसके बाद दूसरी श्रृंगार आरती सुबह 7:30 बजे, तीसरी भोग आरती दोपहर 12:30 बजे, चौथी संध्या आरती शाम 7:15 बजे और अंतिम शयन आरती रात 9:00 बजे संपन्न होती है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा श्याम की श्रृंगार आरती और संध्या आरती का विशेष महत्व है।
बाबा श्याम की मंगला आरती दिन की शुरुआत का प्रतीक है। इसे सुबह सबसे पहले किया जाता है, जिसमें बाबा को स्नान करवा कर पुष्प और दीपों से सजाया जाता है। यह आरती भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है और उनका दिन शुभ बनाती है।
जी हां, बाबा श्याम की आरतियों का प्रत्येक समय शुभ और पवित्र माना जाता है। मंगला आरती दिन की शुरुआत को शुभ बनाती है, वहीं संध्या आरती दिन के समापन के साथ शांति प्रदान करती है। भक्त जिस समय आरती में भाग लेते हैं, वह समय उनके लिए आशीर्वाद से भरा होता है।