(तर्ज – सागर किनारे….)
खाटू नगर है, श्याम का दर है,
जाकर के देखो वो तो, खुशियों का घर है…
खाटू नगर की, महिमा है भारी, बैठा जहाँ पर, वो लीलाधारी,
उसकी दया का होता, सब पे असर है,
खाटू नगर है…
दुनियां में जो भी, किस्मत के मारे, अर्ज़ी लगाते, झोली पसारे,
सबकी ये सुनता, औ लेता खबर है,
खाटू नगर है…
खाटू नगर में, होता करिश्मा, हरदम है होती, अमृत की वर्षा,
शीश का दानी जिसकी, गाथा अमर है,
खाटू नगर है…
जीवन तूं अपना, व्यर्थ गँवाए, ये ही है अपना, बाकी पराए,
‘कमला’ क्यों भटके, दर और बदर है,
खाटू नगर है…