जो श्याम को ध्याता है, वो मौज उड़ाता है,
जी भरके श्याम भजो, व्यर्थ न जायेगा,
ना जाने किस घड़ी तुम्हारे, काम ये आयेगा ।। जो श्याम….
तर्ज – क्या खूब लगती हो ।
श्री श्याम से जोड़ो नाता, समझो इसको अपना भाग्य-विधाता,
ये जिसको भी अपनाता, उसकी खातिर क्या से क्या कर जाता,
संकट की घड़ियों में, दौड़ा आता है,
भरी सभा में आकर के ये, लाज बचाता है ।। जो श्याम….
जो श्याम का चिन्तन करता, उसकी चिन्ता श्याम धणी को रहती,
वो खुद को रोक न पाता, जब अंखियों से प्रेम की धारा बहती,
प्रेमी की व्याकुलता ये देख न पाता है,
प्रेमी के हर अंसुवन का वो, मोल चुकाता है ।। जो श्याम….
यदि प्रीत तुम्हारी सच्ची, और मान लिया श्याम को सर्वस्व अपना,
रे मन तूं क्यूँ घबराये, पूरा होगा जीवन का हर सपना,
‘बिन्नू’ जो श्याम भजे, सब कुछ पाता है,
उसका तो ये मानव जीवन, धन्य हो जाता है ।।
लिरिक्स – बिन्नू जी