झलक पहले जैसी, दिखानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की, बुझानी पड़ेगी….
तर्ज – तेरे प्यार का आसरा
सलोनी अदा पे ये, दिल हार बैठा,
तुम्हारे भरोसे पे, सरकार बैठा,
अधिक देर करना, गवारा ना होगा,
मधुर बैण फिर से, सुनानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की, बुझानी पड़ेगी,
झलक पहले जैसी….
दिला दूंगा मैं अपनी, कसम में मुरारी,
पड़ी कितनी महंगी, सनम तेरी यारी,
न छोडूंगा तुमको, ये वादा मेरा है,
नजर से नजर फिर, मिलानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की, बुझानी पड़ेगी,
झलक पहले जैसी….
बिना ही वजह क्यो, सजा दे रहे हो,
मोहब्बत का कैसा, मजा दे रहे हो,
गुनहगार हु फिर भी, तेरा मुरारी,
पुरानी लगन है, निभानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की, बुझानी पड़ेगी,
झलक पहले जैसी….
यही श्याम बहादुर भी, कहते रहे है,
सितम श्याम सुंदर का, सहते रहे है,
सबल को नही कोई, कहता है दोषी,
तरस सांवले ‘शिव’ पे, खानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की, बुझानी पड़ेगी,
झलक पहले जैसी….