हमको तो आसरा है,
ऐ श्याम मुरली वाले,
ऐ श्याम खाटू वाले,
हमको तो आसरा है।।
तर्ज – मौसम है आशिकाना।
कैसे करूँगा मोहन,
मैं पार गहरी नदियाँ,
ना नाव का ठिकाना,
ना पास है खिवैया,
कोई नही हमारा,
मुझे पार जो उतारे,
मुझे पार जो उतारे,
हमको तो आसरा हैं,
ऐ श्याम मुरली वाले,
ऐ श्याम खाटू वाले,
हमको तो आसरा है।।
मैं तो तेरे भरोसे,
आगे को बढ़ता आया,
मुझको गरज है किसकी,
मुझ पर तुम्हारा साया,
जब साथ है तुम्हारा,
फिर कौन क्या बिगाड़े,
फिर कौन क्या बिगाड़े,
हमको तो आसरा हैं,
ऐ श्याम मुरली वाले,
ऐ श्याम खाटू वाले,
हमको तो आसरा है।।
अब क्या करू मैं बोलो,
तुम भी नजर ना आते,
विश्वास है कन्हैया,
आओगे क्यों सताते,
‘नंदू’ सुनो न मोहन,
नैया तेरे हवाले,
नैया तेरे हवाले,
हमको तो आसरा हैं,
ऐ श्याम मुरली वाले,
ऐ श्याम खाटू वाले,
हमको तो आसरा है।।
हमको तो आसरा है,
ऐ श्याम मुरली वाले,
ऐ श्याम खाटू वाले,
हमको तो आसरा है।।