हाथ जोड़कर मांगता हूँ ऐसा हो जनम,
तेरे नाम से शुरु, तेरे नाम से खतम ।।
तर्ज – मेरे प्यार की उमर हो ।
तेरे चलते बनी मेरी पहचान सांवरे,
वरना गली गली में घूमते, बनके बावरे,
अब उठेगा तेरी राहों में जो, मेरा हर कदम ।।
जाने अनजाने में ऐसा एक काम हो गया,
मेरी जिन्दगी का मालिक, मेरा श्याम हो गया,
वरना इतने भी बुरे ना थे, मेरे करम ।।
कैसे भूलूं करी तो तूने मेहरबानियाँ,
एक अनजाने के वास्ते, क्या क्या नहीं किया,
‘श्याम’ गाये गुण जब तक, दम में है दम ।।
लिरिक्स – श्याम अग्रवाल जी