म्हाने थे ही दिखाया खाटू धाम, मिलाया बाबो श्याम,
गुरुजी म्हारा चोखा मिल्या ।। टेर ।।
तर्ज – म्हारे सिर पर बाबाजी रो हाथ
घणां दिनां तक बिन गुरु मैं तो, भटक्यो मार्यो-मारयो,
जां दिन सूँ थारी शरण में आयो, जीवन सुधर्यो म्हारो,
म्हारो हाथां ने थे ही लीन्यो थाम ।। १ ।।
जद-जद कोई आफत आई, ढांढस आप बंधाया,
बालकियां की भूल-चूक ने, मन सूँ आप भुलाया,
कईयां भूलां म्हें थारो एहसान ।। २ ।।
ध्यान धरम और सेवा पूजा, जप-तप नेम सिखाया,
सत्य अहिंसा को सद्गुरुजी, म्हाने पाठ पढ़ाया,
म्हारो थे ही करोगा कल्याण ।। ३ ।।
बड़भागी माणस ही जग में, साँचो गुरुवर पावे,
गुरु कृपा सूँ ‘हर्ष’ यो माणस, भवसागर तर जावे,
थारे चरणां में बारम्बार प्रणाम ।। ४ ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी
				



