ऋद्धि सिद्धि संग आय बिराजो, म्हारै घर सरकार,
गजानन करियो बेड़ो पार ।। टेर ।।
तर्ज – जहाँ बिराजे राधा रानी अलबेली सरकार ।
सुख सम्पत्ति का हो, थेई दाता,
भक्ता का हो, भाग्य विधाता,
सब देवा महादेव बड़ा थे, बुद्धि का भण्डार ।।
हे लम्बोदर, गणपति राजा,
द्वार पे बाजे, नौबत बाजा,
भरी सभा मं सबसूँ पहल्या, करां थारी मनुहार ।।
मुसे चढ़कर बेगा आवो,
सगला कारज सफल बणावो,
करो कृपा अपण भक्तां पर, सुणल्यो लखदातार ।।
‘शिव सुबोध’ चरणां को चाकर,
झूम रह्यो मन, महिमा गाकर,
प्रथम पूज्य हो देव तिहारी, हो रही जय जयकार ।।