द्वार पर कब से खड़ा हूं, गौर कुछ तो कीजिये,
हूं तुम्हारा दास आखिर, ध्यान कुछ तो दीजिये ।। टेर ।।
तर्ज – सांवरे तेरी छवि पे दिल दिवाना ।
हूं शरण तेरी सदा से, इसमें कोई शक नहीं,
क्या दयालु आप पर, इस दीन का कोई हक नहीं,
हक है गरचे आप पर तो, अब शरण ले लीजिये ।। १ ।।
जानते घट – २ की सारी, क्या छुपाना आपसे,
मुक्त कर दो दास को प्रभु, भव के इस संताप से,
भूल ना पाऊं कभी भी, नाथ ये वर दीजिये ।। २ ।।
नाम कर साकार अपना दास को अपनाइये,
ले लोगे जब तुम शरण तो, दास को क्या चाहिये,
तूं है मेरा में हूं तेरा, आप खुद कह दीजिये ।। ३ ।।
शरण में आये की रक्षा, नाथ करना फर्ज है,
फिरना परवाह है जगत की, और ना कोई हर्ज है,
दास ‘सांवर’ को अभय वर दे, कृतारथ कीजिये ।। ४ ।।
लिरिक्स – सांवर जी