दुनिया ये छलावा है, कहीं तुम भी ना छल जाना,
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी ना बदल जाना ।।
तर्ज – बचपन की मोहब्बत को ।
तुम से ये जीवन है, आधार हो तुम मेरा,
सच-सच बोलूँ जी मैं, संसार हो तुम मेरा,
मुझ निर्बल ने बाबा, तुम को ही तो बल माना,
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी ना बदल जाना ।।
गर तुम जो बदले तो, पुतला ये टूटेगा,
इस जीवन का सूरज, एक पल में डूबेगा,
इस प्रेम के बंधन को, मत तोड़ निकल जाना,
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी ना बदल जाना ।।
तुम साथ जो मेरे हो, जग की परवाह नहीं,
दुख में ना बहे आँसू, सुख की कोई चाह नहीं,
तेरी सेवा में बीते, उस पल को ही पल माना,
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी ना बदल जाना ।।
लिरिक्स – श्री श्याम अग्रवाल जी