दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ।
सुख में कभी ना तेरी याद है आयी,
दुःख में सांवरिया तुमसे प्रीत लगाई ।
सारा दोष हैं मेरा, मैं करता हूं स्वीकार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ॥
मेरा तो क्या हैं, मैं तो पहले से हारा,
तुमसे ही पूछेगा ये संसार सारा ।
डूब गई क्यों नैय्या, तेरे रहते खेवनहार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ॥
सबकुछ गवाया बस, लाज बची हैं,
तुमपे कन्हैया मेरी, आस तिकी हैं ।
सुना हैं तुम सुनते हो, हम जैसो की पुकार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ॥
जिनको सुनाया ‘सोनू’, अपना फ़साना,
सबने बताया मुझे, तेरा ठिकाना ।
सब कुछ छोड़ के आखिर, आया तेरे दरबार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहां पे भी जो हारा, कहां जाऊ में सरकार ।
लिरिक्स – सुनील जी (सोनू)