दुनियां का बनकर देख लिया, अब प्रभु का बनकर देखेंगे,
हम बिना मोल के सेवक हैं, चरणों में गुजारा कर लेंगे ।। टेर ।।
तर्ज – बनकर माँझी जीवन ।
हम जैसे प्रेम दीवानों की, सुनवायी कभी तो होती है,
जब तक न प्रभु को भनक मिले, हर दर्द खुशी से सह लेंगे ।। १ ।।
इस दर्द में जो आनन्द छुपा, बेदर्दी इसे क्या पहचानें,
मीरा, नरसी, प्रह्लाद भक्त, रैदास सूर शिक्षा देंगे ।। २ ।।
“नन्दू” माया के फन्दों का, प्रभु चरणों में कोई जोर नहीं,
बिछ जाना है हरि चरणों में, भवसागर पार उतर लेंगे ।। ३ ।।