चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे ।।
भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा ।।
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे ।।
चढ़ा एक शिकारी, देखो, बिल्व वृक्ष पर, करने को वो शिकार,
शिव चौदस की पावन वह रात थी, अनजाने में हुआ प्रहर पूजा-संस्कार,
हुए बाबा प्रकट बोले, “माँगो वरदान” (बोले, “माँगो वरदान”),
दर्शन कर शिकारी को हो आया वैराग्य ज्ञान (हो आया वैराग्य ज्ञान) ।।
कर बद्ध कर वो बोला,
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
कर बद्ध कर वो बोला, “दो मुझे भक्ति वरदान” (“दो मुझे भक्ति वरदान”) ।।
बने बाबा उसके सहारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे,
(चलो भोले बाबा के द्वारे),
(सब दुख कटेंगे तुम्हारे) ।।
पापाचार के कारण कष्ट सहे कन्या सौमिनी ने,
भिक्षा माँगती वो पहुँची गोकर्ण में, मिला बिल्व पत्र उसे भिक्षा के रूप में,
बिल्व पत्र अनजाने में फेंका शिवलिंग पे (फेंका शिवलिंग पे),
पुण्य शिवरात्रि व्रत का ऐसे पाया उसने (ऐसे पाया उसने) ।।
महिमा से शिव की,
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
(हरि ॐ, हरि ॐ),
महिमा से शिव की मोक्ष पाया उसने (मोक्ष पाया उसने) ।।
बने बाबा उसके सहारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे,
(चलो भोले बाबा के द्वारे),
(सब दुख कटेंगे तुम्हारे) ।।
भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा ।।
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुख कटेंगे तुम्हारे ।।