बुलाते रहना श्याम – २, ये भी बालक तो तुम्हारा है,
इसे तेरा ही सहारा है ।। टेर ।।
तर्ज़ – कीर्तन की है रात ।
संगी ना कोई है, साथी ना कोई है, जो है बस तू ही है,
तेरा नाम जपता हूं, तेरा ध्यान धरता हूं, धड़कन में भी तू ही है,
बतलाते रहना श्याम – २, तेरा यारी का सहारा है ।। इसे ।।
कुछ सोचा ना समझा, बस प्रीत लगाली है, तेरे से सांवरे,
जिस दिन से देखी है, तेरी सांवली सूरत, ना अब कोई चावरे,
दिखलाते रहना श्याम – २, जो भी जलवा तुम्हारा है ।। इसे ।।
शिव-श्याम बहादुर को अजमाते क्यूं इतना, खुदा के श्यामजी,
धनश्याम गाडिया जी, श्री आत्मसिंह जी भी रिझाते आठों याम जी,
चढ़वाते रहना श्याम – २, ये निशान जो तुम्हारा है ।। इसे ।।