फिरता था एक पागल सड़कों पे मारा-मारा,
रहता था अलग सबसे, दुनिया से कर किनारा ।।
एक गोल काला पत्थर रखता था पास हरदम,
सर पे उठाकर गाता, होकर मग्न वो ‘बम-बम’ ।।
पूछा किसी ने उससे – क्या नाम है तुम्हारा?,
रहते हो किस जगह पे? क्या काम है तुम्हारा? ।।
कहने लगा वो हँस के – क्या जानते नहीं हो?,
भोले का हूँ दीवाना… पहचानते नहीं हो? ।।
दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना
दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना – ना ना ना… ।।
मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना
दीवाना… मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना ।।
(दोहराव)
दीवाना… मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना ।।
जिसका ब्रह्मा भी दीवाना,
जिसका विष्णु भी दीवाना,
जिसका नारद भी दीवाना,
जिसका शरद भी दीवाना ।।
जिसका दीवाना राम है,
जिसका दीवाना श्याम है ।।
भोले का मैं दीवाना, दर पे है उनके जाना
चौखट पे जा के जिनकी झुकता है ये ज़माना ।।
अरे दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना
दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना – ना ना ना… ।।
मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना
दीवाना… मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना ।।
(दोहराव)
दीवाना… मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना ।।
जिनको कहते हैं शिव दानी
जिनका ‘भोले जी’ नाम है
जिनके हाथों में सारे जगत का इंतज़ाम है ।।
देता है दान अमृत, पीता है विष का प्याला
कहलाता है जो भोले शंकर त्रिशूलवाला
है काम जिसका बिगड़ी सदा सबकी बनाना
मैं चाहता हूँ उनके चरणों से लिपट जाना ।।
दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना
दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना, दीवाना – ना ना ना… ।।
मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना
दीवाना… मैं तो दीवाना, भोले का दीवाना ।।
लिरिक्स – गुरु जी राम लाल शर्मा