भोले बाबा शरण में तुम्हारी,
बैठी दर पे तेरे कब लोगे खबरियां हमारी,
भोले बाबा शरण में तुम्हारी ।।
तर्ज – हम तुम्हे चाहते है ऐसे ।
अपनी मस्ती में बैठे हो बाबा,
क्यों तुम सुनते नहीं भगतो से क्या रूठे हो बाबा,
भोले बाबा शरण में तुम्हारी ।।
भोले भाले हो जग से निराले,
टूटी कश्ती मेरी भोले कर दी है तेरे हवाले,
भोले बाबा शरण में तुम्हारी ।।
भोले ‘बनवारी’ तेरा पुजारी,
भोले करदो दया तेरे दर का मैं हु भिखारी,
भोले बाबा शरण में तुम्हारी ।।
लिरिक्स – जय शंकर चौधरी (बनवारी जी)