भजनों की रस गंगा में हम डुबकी लगाते हैं,
डुबकी का आनंद बाबा भर भर के उठाते हैं ।। टेर ।।
तर्ज – हनुमान को खुश करना ।
जहां बाबा आता है वहां कीर्तन होता है,
जो बातें करता है वह सब कुछ खोता है,
मस्ती में भजन सुनाये बाबा मस्त हो जाते हैं ।। १ ।।
ज्योत जलाए हम सब बाबा को बुलाते हैं,
खीर चूरमा गट से इन्हें भोग लगाते हैं,
धोका लगाये मिलकर हम धन्य हो जाते हैं ।। २ ।।
‘मित्र मण्डल’ के बालक सब लाड लड़ाते हैं,
बाबा सबसे नजर मिलाते किरपा बरसाते हैं,
मस्ती में मगन होकर के बाबा को मनाते हैं ।। ३ ।।