बड़ी करूणामयी श्यामा, ये है सरकार दीनों की,
बिराजे ऊँचे महलों में, ये है सरकार दीनों की ।। टेर ।।
तर्ज – स्वरचित ।
करे जब मेहरबानी तो, कृपा से झोली भर देती – २
सम्हाले अपने भक्तों को, कभी रोने नहीं देती – २
बिठाती है ये पलकों पर ये है सरकार दीनों की ।। बड़ी ।।
पड़ा चरणों की सेवा में, यहाँ दुनियां का मालिक है – २
चरण चूमे सदा उनके, मेरा बांके बिहारी है – २
बड़ी भोली सी है श्यामा, ये है सरकार दीनों की ।। बड़ी ।।
तलब रख उनके चरणों की, जो चाहे प्रेम तूं पाना – २
बहा कर आँख से मोती, जमाने को ना दिखलाना – २
‘अतुल’ बिलिहारी चरणों की, ये है सरकार दीनों की ।। बड़ी ।।