बचाल्यो आज दादीजी, मन्ने थारो सहारो है।
पड़ी मझधारां मं नैया, माँ सूझे ना किनारो है ।।
तर्ज – पकड़ लो हाथ बनवारी।
घटा घणघोर छायी माँ, घणो छायो अंधेरो है,
भवानी डूब जास्यूं मैं, ना दूजो और चारो है ।। १ ।।
थारो नादान बालक हूँ, पकड़ल्यो आंगली मेरी,
मावड़ली एक थारे पर, माँ चाले जोर म्हारो है ।। २ ।।
दया की भीख देयो माँ, करो सब माफ भूलां थे,
ल्यो पकड्या कान इब दादी, भरोसो थांपे सारो है ।। ३ ।।
थारी चुनड़ी के नीचे ल्यो, मन्ने तो डर घणो लागे,
थारे •ई ‘हर्ष’ ने दादी, आसरो इब तो थारो है ।। ४ ।।
लिरिक्स – हर्ष जी