आयी जी म्हांन याद भक्त की आई,
हे घनश्याम नैण में थारी सूरत आज समाई ।। आईजी ।।
तर्ज – संकट में साधो ।
फेरूँ आगयो फागुण मेलो, सेवकिया थांन मारे हेलो,
ल्यो निशान कट ज्यावे गेली, कीन्ही भोत समाई ।। १ ।।
यादाँ थारी भूल न पाँवा, आँख मूँद थारो ध्यान लगाँवा,
थारे बिन क्यूंई कर नहीं पाँवा, मन में थ्यावस नाँई ।। २ ।।
श्याम धणी का दास पुराणा, संकट काटा सदा विराणा,
माया का कई फिरे दिवाना, थारी साख सवाई ।। ३ ।।
छवी देख्याँ हिवड़ो भर आवे, टप टप आँसू नैण गिरावे,
बाँध धीर को टूट्यो जावे, बेगा करो सहाई ।। ४ ।।
भक्त माल में नाम तिहारो, वंश उजागर होग्यो थारो,
बिगड्या कारज तुरत सवांरो, ‘शिव’ की करो सुणाई ।। ५ ।।