आया हूँ शरण में, दीदार के लिए,
खाटू वाले श्याम, सरकार के लिए।।
तर्ज – एक परदेसी मेरा दिल ले गया।
एक बर तेरा दरस कर दे,
इन अँखियों की प्यास भुजा दे,
बैठा बैठा रोऊँ, तेरे प्यार के लिए।।
तुझ बिन मेरा कोई ना सहारा,
कौन मिटाये दुःख ये हमारा,
लायक नहीं हूँ, दरबार के लिए।।
दुखिया समझ कर, मुझे अपनाना,
मेरा ‘बनवारी’ साथ निभाना,
लाया नहीं कुछ भी दातार के लिए।।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी