आज सखि जो मै प्रितम पाँऊ,
तो अपनों बड़ भाग्य मनाऊ ।।
सांवरी सूरत, नयन विशाला,
चंद्र वदन, गले मोतियन माला,
रूप मनोहर, चाल मराला,
सुंदरता पर बलबल जाऊ,
आज सखि जो मै प्रितम पाँऊ ।।
वो प्यारो मेरी गलियन आवे,
मोही बिहरीन को दरस दिखावे,
बैठ निकट मृदु वचन सूनावे,
में हँस उनको कंठ लगाऊ,
आज सखि जो मै प्रितम पाँऊ ।।
जब वो मोंसो कहत प्यारी,
तब मैं फूली अंग न समाऊ,
नारायण जीवन गिरिधारी,
कब लोगे सूधी आप हमारी,
आज सखि जो मै प्रितम पाँऊ ।।




