आई ग्यारस की रात, झूमां नाचां सारी रात,
खाटूवाले के साथ…
उत्सव आयो, श्याम को उत्सव आयो।।
(तर्ज: बोलो जय जय श्री श्याम..)
कार्तिक सुदी ग्यारस की आपां श्याम जयंती मनावांगा,
गणपति जी न प्रथम मनाकर, गुरु को ध्यान लगावांगा,
लेके हनुमत को नाम, शिवशंकर के साथ ।। उत्सव आयो..।।
रंग बिरंगे फूलां से दरबार ने खूब सजावांगा,
चांदी के सिंहासन उपर सांवलिये न बिठावांगा,
करां ईत्तर को छिड़काव, महकै सारो दरबार ।। उत्सव आयो..।।
“मित्र मंडल” थानै न्यूतो देवे दर्शन करनै आणो है,
प्रेम को रिश्तों थारो म्हारो दुनियां न दिखलाणो है,
मिलके करा मनुहार, बोलां श्याम की जैकार ।। उत्सव आयो..।।