आ सांवरा तेरी मैं मनवार करल्यूं,
चरणां की सेवा और दुलार करल्यूं ।। टेर ।।
तर्ज – आ बैठ मेरे पास तुझे देखती रहूँ ।
कानां मं तेरा मैं कुंडल लगायूं,
मोर मुकुट सिरपे मैं तेरे सजायूं,
नैणांस स तेरो श्रृंगार करयूं, सांवरा तेरी…।। १ ।।
छप्पन कली को तेरो बागो बणायूं,
बागे मं हीरा और मोती जड़ायूं,
बड़ो बणाके तैयार करयूं, सांवरा तेरी….।। २ ।।
फुलां को बंगलो मं तेरो बणायूं,
जूही और चम्पा की लटकन लगायूं,
अंतर केशर की बोछार करयूं, सांवरा तेरी…. ।। ३ ।।
पल्ला जरी को तन्ने चूरमो बणायूं,
मेवा की खिचड़ी को भोग मं लगायूं,
मनड़े री बातां दो चार करल्यूं, सांवरा तेरी…. ।। ४ ।।
“निर्मल” कह्वे है म्हारो हिवड़ो डरे जी,
बस एक जनम स म्हारो मन ना भरे जी,
जन्मां जन्म को करार करल्यूं, सांवरा तेरी….।। ५ ।।