संसार समन्दर में, डगमग मेरी नैया है,
गिरधारी ओ मुरारी, दीखै ना खिवैया है ।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है ।
खेना बड़ा मुश्किल है, दिल में बड़ी हलचल है,
पाऊँगा पहुंच कैसे, लम्बी मेरी मंजिल है,
ओ बांकी अदा वाले, सुन कृष्ण कन्हैया है ।।
दाता यही कहना है, व्याकुल दोऊ नैनां है,
ओ मोर मुकुटधारी, मेरे साथ में रहना है,
उम्मीद यही दिल में, प्रभु पार लगईया है ।।
जग के प्रतिपालु हो, प्रभु दीनदयालु हो,
दुख-दर्द सुना अपना, अरमान निकालूँ हो,
बेजोड़ मदारी हूँ, संसार नचैया है ।।
क्या श्याम बहादुर के, दिलदार नहीं तुम हो,
मुद्दत से पुराने क्या, मेरे यार नहीं तुम हो,
ठाकुर मन मंदिर का, ‘शिव’ ज्योत जगैया है ।।
लिरिक्स – शिव चरण भीमराजका जी