ओ गोरा के लाल तेरी पूजा है जग करता-२,
एकदंत कहते हैं तुझको -२,
ओ विघ्नों के हरता,
ओ गोरा के लाल तेरी पूजा है जग करता ।।
लंबोदर सुंदर मुख वाले-२,
मोदक का जो भोग लगावें -२,
मूषक सवारी करता,
ओ गोरा के लाल तेरी पूजा है जग करता ।।
मस्तिक लाल सिंदूर सजाया -२,
कंचन कंचन तेरी काया -२,
नैनों में सूर्य उभरता,
ओ गोरा के लाल तेरी पूजा है जग करता ।।
चारभुजा अति सुंदर लागे-२,
‘इंदु’ तेरा भजन सुनावे-२,
ओ सृष्टि के करता,
ओ गोरा के लाल तेरी पूजा है जग करता ।।
लिरिक्स – इंदु समाना जी




