(चाँद धुंदला गया, छोर बदली हवा,
चंद लम्हो में बस होर होने को है,
पंछी गाने को है, किरणे आने को है,
दुनिया फिर से नयी और होने को है)
(दोहा: छोड़ जाने दे अब तक हुआ जो हुआ,
श्याम को हर कमी तेरी मंज़ूर है,
रात भर था सिरहाने वो बैठा हुआ,
तुझको लगता था तुझसे बहुत दूर है)
बंदे अब छोड़ दे हड़बड़ी, श्याम भजले घड़ी दो घड़ी,
जीत जाए तू हर कदम पर, इसकी नज़रे जो तुझपे पड़ी,
श्याम भजले घड़ी दो घड़ी ।।
तर्ज – जिन्दगी की ना टूटे ।
झूठी दुनिया से रिश्ता है क्या, हँसते को रुलाती है,
उस वक्त हमें बाबा तेरी याद सताती है,
दुनिया वालों कि किसको पड़ी,
श्याम भजले घड़ी दो घड़ी ।।
तेरे भजनों को गा ना सके, ऐसी वाणी का क्या फायदा,
तालियां जो बजा ना सके, ऐसे हाथों का क्या फायदा,
दिलवाले से कर दिल्लगी,
श्याम भजले घड़ी दो घड़ी ।।
श्याम प्रेमी को अपना बना, प्यारे भक्तो को दिल की बता,
चाहे अपने भी मुँह मोड़ले, श्याम प्रेमी मिलेगा खड़ा,
‘शुभम रूपम’ करे बन्दगी,
श्याम भजले घड़ी दो घड़ी ।।
लिरिक्स – शुभम रूपम बाजोरिआ जी