मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते,
फिर बीती रात मेरी, उससे बात होते होते ।।
तर्ज़ – यूँही कोई मिल गया था ।
मुझे याद हैं अभी भी, वो रात का नजारा,
वो सामने खड़ा था, आभास होते होते,
मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते ।।
जैसे सामने ये मूरत, वैसी ही मैंने देखी,
में तो चरणों में पड़ा था, यु निहाल होते होते,
मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते ।।
वो गीले वो सारे शिकवे, जो ज़रा में उससे कहता,
सब भूलते ही जाते, मुझे याद होते होते,
मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते ।।
मुझको गले लगाया, फिर प्यार से वो बोला,
तू अब भी रो रहा हैं, मेरे पास होते होते,
मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते ।।
जिसे जिंदगी भर चाहा, जिसे दिल से मैंने पूजा,
झलक ‘बनवारी’ दिखा गया वो, सुप्रभात होते होते,
मुझे दर्शन दे गया वो, कल रात सोते सोते ।।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी (बनवारी)