तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया,
तन मन के मैल धुल गए पावन मैं हो गया,
तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया ।।
बिछड़ गया था कई जन्मों से,
भटक गया था दूर होके,
डूबा हुआ था भव सागर में पार हो गया,
तन मन के मैल धुल गए पावन मैं हो गया,
तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया ।।
तुमको बसाया नैनों में अपने,
रखना गुरु जी चरणो में अपने,
दर पे तुम्हारे आके मैं धन्य हो गया,
तन मन के मैल धुल गए पावन मैं हो गया,
तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया ।।
सुख ना मिला मुझे धन दौलत में,
मिला है आनंद तेरी सोहबत में,
मैं पाप श्राप मोह माया से मुक्त हो गया,
तन मन के मैल धुल गए पावन मैं हो गया,
तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया,
तन मन के मैल धुल गए पावन मैं हो गया,
तेरी शरण में आके मैं धन्य हो गया ।।
लिरिक्स – दुर्गा गिडवानी