दोहा : सतगुरु गुण की खान है, हरे तेरा अज्ञान,
भ्रम का फंदा काटकर, करे तेरा कल्याण ।।
गुरुदेव जैसा, दयालु जहाँ में,
कोई नहीं है, कोई नहीं है,
चला जा शरण में, बनेगी तुम्हारी,
बिगड़ी बनाने वाले यही हैं ।। टेर ।।
तर्ज – तुम्हीं मेरे मन्दिर ।
भूले हुए को, रस्ता दिखाते,
सुगम राह चलने की, युक्ति बताते,
शंकाये सारी, मिटा देंगे तेरी,
अभय दान, देने वाले यही हैं ।। १ ।।
समर्पण से शक्ति, सेवा से भक्ति,
मिले कैसे तुमको, बंधन से मुक्ति,
भ्रम के भंवर से, निकालेंगे तुमको,
साकार दर्शन, कराते यही हैं ।। २ ।।
ब्रह्मा ओ विष्णु, महादेव भोले,
समाये गुरु में ये, सद्ग्रंथ कहते,
‘सांवर’ क्यूँ भटका, फिरे मन अनाड़ी,
पकड़ले चरण बस, मौका यही है ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी
				



