श्याम का नाम मुझे मस्त बना देता है,
श्याम सागर में डूब जाता हूँ मैं,
दर्दो गम दिल के भूल जाता हूँ मैं,
श्याम का नाम……
(तर्ज़ :-जाने क्यू लोग महोब्बत किया करते हैं..)
जब भी पुकारू मैं मेरे बंसी बजैया को,
हर बार देखा हैं मेरे हमदम कन्हैया को,
सपनो में आता है.. दिल को लुभाता है…,
उलझे ख्यालो से मेरे मन को छुड़ाता है,
आके चुपके से वो… मेरे सपनो में वो…,
तान मुरली से गज़ब की सुना देता है,
श्याम का नाम….
कई बार तो ये दिल बड़ा गमगीन होता है,
उस वक़्त सांवलिया मेरे नजदीक होता है,
चुपचाप में भी, वो भी चुपचाप होता है,
खामोश रह कर भी दिल में मेरे हलचल मचाता है,
होश रहता नहीं… कुछ भी कहता नहीं…..,
मीठी मुस्कान से दिल को लुभा लेता है,
श्याम का नाम….
मैं याद में उनकी सभी कुछ भूल जाता हूँ,
लेकर के नाम इसका ख़ुशी के गीत गाता हूँ,
ये ज़िंदगी मेरी यही गुजर जाए,
हर वक़्त धड़कन से मेरी आवाज ये आये,
श्याम सरकार है.. बड़ा दिलदार है…,
आज “बनवारी” तुझको दिल से नमन करता है,
श्याम का नाम…..
लिरिक्स – जयशंकरजी चौधरी (बनवारी)