पितरां न जो ध्याव बां की ज्योत जगाव लिरिक्स

Pitra Ne Jo Dhyav Baaki Jyot Jagav Lyrics

पितरां न जो ध्याव, बां की ज्योत जगाव,
बीं घर को के कहणो, बै तो मौज उड़ाव….

(तर्ज : आयो फागण मेलो)

थारै घर का मालिक पितर, पितरां को सारो परिवार,
जाता जाता सौंपग्या थान्न, जो कुछ थो बांको अधिकार,
जीवन भर जो कमाव, घरका न दे जाव,
बीं घर को के कहणो….

धरती पर पग टिक्या न वां का, जद थे घर म जाम्या था,
जद थे धरती पर पग टेक्यो, थारी अँगुली थाम्या था,
चलनो वही सिखाव, कितना लाड़ लड़ाव,
बीं घर को के कहणो….

थारै सिर पर बांको कर्जी, कदे चुका ना पाओगा,
देकर अन्तर्ध्यान हो गया, कैयां ढूँढ कर ल्याओगा,
लौट कदे ना आव, यादां ही रह जाव,
बीं घर को के कहणो….

बां की याद संजो कर रखो, चरणां शीश नवाओ थे,
‘बिन्नू’ पितरां की जय बोलो, श्रद्धा सुमन चढ़ाओ थे,
जो बां का गुण गाव, पितर आड़ा आव,
बीं घर को के कहणो….

लिरिक्स – बिन्नू जी