आजा मेरे कन्हैया, बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया, आजा मेरे कन्हैया,
बीच भँवर में नैया, बन जाओ श्याम खिवैया,
आजा मेरे कन्हैया।।
(तर्ज – ओ नन्हे से फ़रिश्ते)
बैठे है आप ऐसे, सुनता नहीं हो जैसे,
नैया हमारी मोहन, उतरेगी पार कैसे,
तुझे क्या पता नहीं है, मझधार में पड़ी है,
आजा मेरे कन्हैया, बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया, आजा मेरे कन्हैया।।
मेहनत से हमने अपनी, नैया थी इक बनाई,
लेकिन भँवर में मोहन, कोशिश ना काम आई,
हारे है हम तो जब भी, तूफानों से लड़े है,
आजा मेरे कन्हैया, बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया, आजा मेरे कन्हैया।।
पतवार खेते खेते, आखिर मैं थक गया हु,
शायद तू आता होगा, कुछ देर रुक गया हु,
बनवारी बेबसी में, चुप चाप हम खड़े है,
आजा मेरे कन्हैया, बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया, आजा मेरे कन्हैया।।