इतना तू सोचे क्यूं,
मैं भी तो बैठी हूं,
तेरी हर एक मुश्किल को मैं आसान करूंगी…
समाधान करूंगी…
(तर्ज : जब हम जवां होंगे जाने कहां होंगे)
जीवन के हर मोड़ पे तुझे सम्भाला है,
कैसी कैसी विपदाओं से निकाला है,
ऐसे ही हर दम मैं तेरा कल्याण करूंगी.. समाधान….
मेरे होते तू बेकार क्यूं रोता है,
तेरे दुख से मुझको भी दुख होता है,
तेरे मुकद्दर को सदा बलवान करूंगी.. समाधान….
जब तक भग्तों का भरोसा है मुझपे,
संकट ना आने दूंगी ‘अम्बरीष’ उनपे,
भग्तों के भावों का सदा सम्मान करूंगी.. समाधान….