तेरा सिंहासन क्यों हिल रहा है,
क्या कोई अर्जी लगा रहा है,
क्यूँ गीली चौखट ये लग रही है,
क्या कोई आंसू बहा रहा है ।।
तर्ज – तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ।
क्यों आँखें तेरी छलक रही है,
क्यों आँखें तेरी छलक रही है,
क्या भाव में कोई डूबा रहा है,
क्या कोई आंसू बहा रहा है ।।
किस बात पे पलकें बंद कर ली,
किस बात पे पलकें बंद कर ली,
क्या कोई दिल में समा रहा है,
क्या कोई आंसू बहा रहा है ।।
सारे जगत को जिताने वाली,
सारे जगत को जिताने वाली,
क्या कोई तुमको हरा रहा है,
क्या कोई आंसू बहा रहा है ।।
जो भा सका ना मात जग को,
जो भा सका ना मात जग को,
वो ‘श्याम’ तुमको क्यों भा रहा है,
क्या कोई आंसू बहा रहा है ।।
लिरिक्स – श्याम अग्रवाल जी