तेरा हो जो सिर पर हाथ, कोई संकट ना आये,
जीवन की ये गाड़ी, सरपट दौड़ी जाये ।। टेर ।।
तर्ज – होंठों से छूलो तुम ।
तेरी कृपा से ये गाड़ी, मांगे ना हवा पानी,
बिन तेल के चलती चले, बाबा की रजधानी,
गुणगान किराये की, भरपायी करवाये ।। जीवन …. ।।
नहीं टैक्स का भी झंझट, ना किश्तें चुकानी है,
इसमें तो विराज रहें, प्रभु शीश के दानी हैं,
श्रीश्याम श्याम सुमिरन, सदा फिटनेस दिलवाये ।। जीवन …. ।।
भजनों से तुम इसके, बीमे की रकम भर दो,
जयकार लगाकर के, टायर को नए कर लो,
जितनी सेवा उतना, माइलेज अधिक पाये ।। जीवन …. ।।
प्रभु की रहमत जिस पर, आगे बढ़ता जाता,
‘राजू’ ने जोड़ लिया, मोहन के संग नाता,
तेरी महिमा का वर्णन, हर परमिट दिलवाये ।। जीवन …. ।।
लिरिक्स – राजू चितलांगिया जी